सबसे पहले तो आपको ये बता देते है की महामुनि अगस्तय, रामायण और महाभारत दोनों ही कालखंडो में उपस्थित थे। कहा जाता है कि महिर्षि अगसत्य 5000 वर्षो से भी अधिक समय तक जीवित रहे थे।
ऊपर लिखी केवल दो ही तथ्यों से आपने अनुमान लगा लिया होगा कि महिर्षि अगस्त्य साधारण मानव नहीं रहे होंगे। तो आईये जानते है इनके बारे में और रोचक बातें।
कौन थे महिर्षि अगस्त्य मुनि ?
महामुनि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। माना जाता है कि इनका जन्म 3000 ई.पू. में काशी में हुआ था। इनकी पत्नी लोपामुद्रा विधर्भ देश की राजकुमारी थी। इनके पिता का नाम पुल्सत्य था। इनके भाई का नाम विश्रवा था। महामुनि अगस्त्य महाराज दशरथ के राजगुरु भी थे।
अगस्त्य मुनि को सप्तऋषि मंडल में से एक माना जाता है। तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण में भी मुनि अगस्तय के सम्बंध में लिखा गया है।
तो आईये जानते है महामुनि अगस्त्य से जुड़े कुछ चकरा देने वाले, रोचक मगर सत्य बातें।
अतुल्य ज्ञान का भंडार।
पुराणों में वर्णित है कि एक बार महामुनि अगस्त्य जी ने समुंद्री राक्षसो का विनाश करने के लिए अपनी मंत्रो की शक्ति से समुन्द्र के सारे जल को पीकर समुन्द्र सूखा दिया था। महाकाव्य रामायण में भी वर्णित है कि श्री राम चंद्र जी ने भी अगस्त्य मुनि के ज्ञान के बारे में बताया है।
कहा जाता है कि जब श्रीराम चंद्र के वनवास के 10 वर्ष बीत गए तो उन्होंने लक्ष्मण और सीता से अगस्त्य मुनि के ज्ञान का बखान किया और उनसे मिलने जाने को कहा था। रामचंद्र जी ने कहा की यदि उत्तर में हिमालय से लेकर विध्यांचल तक के समस्त ज्ञान को तराजू के एक पलड़े में रखा जाये और दूसरे पलड़े में मुनि अगस्त्य को बिठाया जाये तो अगस्त्य मुनि वाला पलड़ा निचे झुक जायेगा। अर्थात मुनि अगस्त्य के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। उनका ज्ञान अतुल्य है।
विध्यांचल पर्वत को झुकाया।
कहते है कि विध्यांचल पर्वत ने अपनी विशालता के चलते घमंड में खुद को बहुत ऊँचा बना लिया था। विध्यांचल ने अपने को ऊँचा करके सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पे आने से रोक दिया था। देवताओ ने आकर मुनि अगस्त्य से इस सम्बन्ध में उनकीऔर पृथ्वी वासियो की सहायता करने की प्रार्थना की।
अगस्त्य मुनि विध्यांचल पर्वत के गुरु थे। मुनि अगस्त्य विध्यांचल के पास गए और बोले कि मुझे दक्षिण में जाने के लिए रास्ता दो। विध्यांचल ने खुद को निम्न बना लिया और गुरु को रास्ता दिया। मुनि अगस्त्य जाते वक्त विध्यांचल को आदेश देकर गए कि जब तक में वापस न आ जाऊ तुम ऐसे ही निम्न बने रहना। मुनि अगस्त्य दक्षिण में ही जाकर बस गए और तपस्या करने लगे।
तबसे विध्यांचल पर्वत निम्न ही बना हुआ है।
धरती के भार को संतुलित किया।
पुराणो की कथा के अनुसार जब भगवान शंकर का विवाह हुआ तो सभी देवी-देवता, महा मुनि और सभी ऋषिमुनि विवाह में शामिल होने के लिए उत्तर में स्थित कैलाश पर्वत पर एकत्रित हुए। इससे पृथ्वी का भार असंतुलित हो गया। तब भोलेनाथ ने महिर्षि अगस्त्य को दक्षिण में जाने का आदेश दिया और उनसे कहा कि समय आने पर वे उनको दर्शन देंगे।
महामुनि अगस्त्य ने दक्षिण में जाकर पृथ्वी के भार को संतुलित कर दिया था।
बिजली बनाने की खोज।
ऐसे बहुत से अविष्कार है जो हमारे ऋषिमुनियों ने किये थे लेकिन आधुनिक युग में उन अविष्कारों पर किसी और की मुहर लगी हुई है। शायद आपको पता भी न हो कि मेडिकल और अभियांत्रिकी के छेत्र में जो भी बड़े अविष्कार हुए है उनको पहले ही हमारे ऋषिमुनि खोज चुके थे और बना भी चुके थे।
ऐसे ही एक अविष्कार , बिजली की खोज के बारे में बात करें तो वो भी हमारे ऋषि मुनियो की ही देन है।
महामुनि अगस्त्य द्वारा रचित ग्रथ अगस्त्य संहिता मे बिजली बनाने की सम्पूर्ण विधि का बखूबी वर्णन किया गया है। अगस्त्य संहिता की प्राचीनता और इसकी प्रमाणिकता को जांचने के लिए कई बार शोध किये गए है। हर बार शोध में अगस्त्य सहिंता को सही और प्रामाणिक पाया गया है।
बल्ब बनाने वाले वैज्ञानिक, एडिशन ने भी स्वीकार किया है कि उसको बल्ब बनाने का विचार संस्कृत के श्लोक पढ़कर ही आया था। बिजली अविष्कार के सम्बन्ध में आपको ये जरूर पड़ना चाहिए आपकी आंखे खुली रह जाएगी।
मार्शल आर्ट के ज्ञाता।
मार्शल आर्ट यानि लड़ने की कला अगर मार्शल आर्ट के जनक की बात की जाये तो भगवान् शंकर का नाम ही मन में आता है क्योकि पुराणों के अनुसार भगवान् शंकर ने सर्वप्रथम अपने पुत्र कार्तिकेय को ये कला सिखायी थी। शिवजी के पुत्र मुरुगन (कार्तिकेय) ने इस कला को मुनि अगस्त्य को सिखाया।
महिर्षि अगस्तय ने इस कला का प्रसार किया और इस पर तमिल भाषा में पुस्तकें भी लिखी थी।
महिर्षि अगस्त्य जी के बारे में ये कुछ रोचक तथ्य है जिनको हम इस पोस्ट में कवर कर पाए है हालाकिं अगस्त्य मुनि की महानता का जितना बखान किया जाये कम ही होगा। अगर आपको भी मुनि अगस्त्य जी के बारे में कुछ हैरान करने वाले तथ्य पता हो तो हमको कमेंट करके बताये।
महिर्षि अगस्तय ने इस कला का प्रसार किया और इस पर तमिल भाषा में पुस्तकें भी लिखी थी।
महिर्षि अगस्त्य जी के बारे में ये कुछ रोचक तथ्य है जिनको हम इस पोस्ट में कवर कर पाए है हालाकिं अगस्त्य मुनि की महानता का जितना बखान किया जाये कम ही होगा। अगर आपको भी मुनि अगस्त्य जी के बारे में कुछ हैरान करने वाले तथ्य पता हो तो हमको कमेंट करके बताये।

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